निदा फ़ाज़ली की नज़्म 'गरज बरस प्यासी धरती पर'
गर्मी से धरती झुलस रही है। कहीं-कहीं मानसून ने दस्तक दे दी है तो कहीं सूखी आँखें बादलों की राह देख रही हैं। निदा फ़ाज़ली की ये ग़ज़ल एक दुआ है सभी ले लिए, कि हर किसी को वो मिले जिसकी उन्हें सच्चे दिल से चाह है। आपको ये वीडियो कैसा लगा हमें कमेंट सेक्शन में ज़रूर बताएं।